Wednesday, June 17, 2015

संविधान का दम घुट रहा है

खबरी -- संविधान को लागु करने और हिफाजत करने वाली संस्थाओं पर सवाल उठ रहे हैं। 


गप्पी -- देखिये हमारे देश का संविधान लगभग 65 साल पहले बना। अब इस बात पर सवाल किये जा रहे हैं की क्या पिछले 65 सालों में देश का कामकाज संविधान  के अनुसार चला। लेकिन देश में एक चीज और है जो संविधान से पहले बनी, वह है पुलिस। उम्र के लिहाज से वह संविधान को अपने से छोटी चीज मानती है। इसलिए जब पुलिस को कहा जाता है की वह संविधान के अनुसार काम करे उसे ये बात हजम नही होती। दूसरी जो जमात जिसे संविधान से सबसे ज्यादा एतराज है वह है नेता। अब सरकार नेता चलाते हैं। संविधान की एक गंदी आदत थी की वो बार बार सरकार के सामने आ कर खड़ा हो जाता था। नेता के काम में रोड़ा अटकता था। इसलिए सरकार ने पूरा विचार-विमर्श करके संविधान को पुलिस थाने  में रखवा दिआ। पुलिस कमिशनर को  हिदायत दी गयी की इसकी इस तरह देखभाल करनी है की ये हिल न सके। अब पुलिस ने विचार किया और उसने संविधान को उठा कर सीट की जगह कुर्सी पर रख लिया और उसके ऊपर बैठ गयी। संविधान का दम  घुटने लगा। लोगों ने शिकायत की कि संविधान का दम घुट रहा है। सरकार ने कहा कानून अपना काम करेगा। किसी को दम घुट कर मरने नही दिया जायेगा। 

                       लोग अदालत के पास गए और कहा की संविधान का दम घुट रहा है। अदालत संजीदा हुई और थाने पहुंच गयी। पुलिस अफसर ने अदालत को थाने में देखा तो तुरन्त उठ कर सैल्यूट किया। संविधान को थोड़ा सा साँस आया और उसने चिल्लाना शुरू किया। अदालत ने कहा की तुम संविधान का दम नही घोंट सकते। अदालत ने सरकार से पूछा की उसने संविधान को पुलिस थाने में क्यों रखवाया। सरकार ने कहा की संविधान बहुत महत्वपूर्ण चीज है और उसकी सुरक्षा के लिए उसे पुलिस थाने  में रक्खा गया है। और ये सरकार का विशेषाधिकार है की वो संविधान को अपनी मर्जी से कहीं भी रख सकती है। अदालत ने कहा चलो हम इसको देखेंगे की संविधान को कोई तकलीफ न हो। उसके बाद अदालत वक़्त-बेवक़्त थाने पहुंच जाती। पुलिस उठ कर सैल्यूट करती और संविधान चिल्लाने लगता। अदालत पुलिस को डांट पिलाती। 

                    स्थिति बहुत विकट हो गयी। सरकार ने नया आदेश  जारी किया की अदालत को पहले नोटिस देना पड़ेगा की वो कब पुलिस थाने जा रही है। उसके बाद पुलिस ने संविधान के ऊपर दूसरा अफसर बिठा दिया और सैल्यूट करने के लिए दूसरा अफसर रख लिया। अब जब भी अदालत पुलिस थाने जाती है उसे संविधान के चिल्लाने की आवाज सुनाई नही देती। इस तरह सब ठीक ठाक चल रहा है। 

                     अब संविधान को दम घुटने से बचाने का केवल एक ही रास्ता बचा है की लोग थाने में घुसकर संविधान को पुलिस के नीचे से निकाल लें और उसे उसकी सही जगह पर रख दें। देंखे ये कब होता है।

 

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.