Sunday, August 23, 2015

Vyang -- अब बिल्ली करेगी आपके दूध की रखवाली।

खबरी -- ये " पेमेन्ट बैंक " क्या बला है ?

गप्पी -- पिछले दिनों की कुछ बहुत ही महत्त्वपूर्ण खबरों पर एक नजर डालिये। एक खबर आई की देश के टैक्स का दो लाख सत्रह हजार करोड़ रुपया केवल सत्रह लोगों पर बकाया है। धन्य हो। ऐसे लोगों की तो पूजा होनी चाहिए। हालाँकि सरकार ऐसे लोगों की पूजा कर भी रही है। इनमे से कई लोग प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं में सम्मानित प्रतिनिधियों की तरह शामिल रहते हैं। उनका सम्मान होता है और उनकी अय्यासी का खर्चा इस देश की गरीब जनता उठाती है। 
                       दूसरी महत्त्वपूर्ण खबर ये आई की देश के सरकारी बैंको का छः लाख करोड़ रुपया लगभग डूब गया है। ये लगभग शब्द जो है उसकी खोज जोर का धक्का आहिस्ता से लगने के लिए की गयी थी। वरना लगभग का कोई मतलब नही है। असली खबर ये है की छः लाख करोड़ रुपया डूब चूका है। ये कौन बेचारे भाई हैं जो बैंको से लोन लेकर उसे चूका नही पाये। इनमे कई तो ऊपर वाले सत्रह लोगों में ही हैं। जो बाकि बचे वो इनके भाई बंधु , घर परिवार वाले और इन जैसे ही कुछ दूसरे महानुभाव हैं। बेचारा आम आदमी तो बैंक का सौ रुपया नही चुका पाये तो उसके खिलाफ FIR हो जाती है। बैंक की उगाही करने वाली जीप उनका खेतों तक पीछा करती है। और तब तक करती रहती है जब तक या तो वो पैसा दे दे या आत्महत्या कर ले। 
                       ऊपर के दोनों कुकर्मों के लिए हमारा निजी क्षेत्र जिम्मेदार है। जिसके सम्मान में सारा देश दुहरा हुआ रहता है। जिससे कोई सवाल नही पूछता। जिस का अपना मीडिया है, अपने एक्सपर्ट हैं, अपनी सरकार है और अपने नासमझ समर्थक हैं। ये व्ही निजी क्षेत्र है जिसे सारी आर्थिक बिमारियों का इलाज बताया जाता है। अब इसके लिए सरकार ने एक बहुत ही बढ़िया स्कीम बनाई है। 
                        हमारे रिजर्व बैंक ने इन्हे "पेमेंट बैंक" के नाम से बैंक खोलने की अनुमति दे दी है। ये बेचारे कुछ दिनों से बहुत परेशानी में थे। उद्योगों में मंदी का माहौल चल रहा है। बैंकों का जो पैसा खाया जा सकता था खा चुके हैं। टैक्स का जो पैसा हजम हो सकता था कर चुके हैं। बैंकों से नया लोन लेने के लिए भी कोई बहाना चाहिए भले ही कितना ही कमजोर क्यों न हो। अब इस बेचारे निजी क्षेत्र का विकास रुक गया। इसके बच्चे दो लाख रूपये रोज के किराये की होटलों में कैसे रुकेंगे। पत्नी की सालगिरह पर हवाईजहाज कैसे गिफ्ट में दिया जायेगा ? हजार-हजार करोड़ के मकान कैसे बनेंगे। उनकी इस परेशानी को देखते हुए सरकार ने इन्हे ही सीधे सीधे बैंक खोलने का परोक्ष अधिकार दे दिया। लो भाई, खुद पैसा इकट्ठा करो और खुद हजम करो। किस्से पैसा इकट्ठा करो ? अरे भई आम लोगों से, जो दूर के गांव में रहते हैं, दूसरी जगहों पर जाकर मजदूरी करते हैं और जहां कोई बैंक अपनी शाखा नही खोलना चाहता। ये सारा काम आपके मोबाईल पर कर देंगे। आपको ना बैंक जाने की जरूरत पड़ेगी और ना खाता खुलवाने के लिए सबूत देने की जरूरत पड़ेगी। अपनी छोटी छोटी  बचतों को इन बिल्लियों की रखवाली में रखिये और मलाई आने का इंतजार कीजिये। 
                         देश के ये बेचारे गरीब उद्योगपति हर रोज पैसा मांगने बैंक में जाएँ ये इनके सम्मान के खिलाफ है। बैंको में जो पैसा होता है वो भी जनता का ही होता है। ये बैंकों का पैसा खाते  रहते हैं फिर सरकार जनता के बजट में से पूंजी के नाम पर और पैसा डालती रहती है ये फिर खा लेते हैं। अब इस झंझट से छुटकारा मिल जायेगा सरकार को भी और इन बेचारी कम्पनियों को भी। आम जनता का पैसा ही खाना है तो भाई सीधे खाओ ना, सरकार को बीच में क्यों डालते हो।

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