Friday, January 22, 2016

रोहित वेमुला की मौत पर

मैंने
सदियों से तुम्हे
अपने पैरों के नीचे रक्खा,
लेकिन
तुम झांक लेते थे
मेरे अंदर
और
बक देते थे सबकुछ बाहर ,
मुझे तुमसे डर लगता था
इसलिए
मैंने तुम्हे मारने के षड्यंत्र रचे,
और एक दिन
तुम मर गए
बिना मुझ पर आरोप लगाये ,
लेकिन
मेरा डर कम होने की बजाय
बढ़ गया ,
मैं अब सभाओं में आंसू बहा रहा हूँ,
तुम्हारे लिए
लेकिन डर है की कम होने का नाम ही नही ले रहा,
मैं क्या करूँ ?
इसलिए
मैं तुमसे प्रार्थना करता हूँ
की तुम मर जाओ
ताकि
सदियों से छुपा
मेरा सच बाहर ना आ सके।
वादा करो रोहित वेमुला
की तुम मरोगे,
उस संस्कृति की रक्षा के लिए
जो सदियों से महान है।

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