Saturday, October 22, 2016

चीनी सामान का बहिष्कार छाती कूटने से नही, आत्मनिर्भर विकास से होगा।

                    पिछले कई दिनों से भक्त छाती कूट रहे हैं की चीनी सामान का बहिष्कार करो। कई जगह से इसे समर्थन मिलने की खबरें भी आ रही हैं। लेकिन अंत में ये मामला केवल फिजूल पीठ थपथपाने तक रह जाने वाला है। क्योंकि भक्तों को तो यही नही मालूम है की चीन का क्या क्या सामान हमारे देश में बिकता है।
                     चीन से हमारे देश में जो सामान आयात होता है उसमे, TB और कुष्ठ रोग की दवाइयाँ, टेक्सटाइल की मशीनरी और कच्चा मॉल, टीवी के सेट टॉप बॉक्स, मोबाइल फोन, रिमोट, बिजली का सामान, सजावट का सामान, फर्नीचर, पटाखे, दिवाली की सजावट का सामान, हार्डवेयर का सामान इत्यादि बहुत सी चीजें शामिल हैं। जिसमे भक्तों की निगाह केवल पटाखों और लड़ियों पर है जो चीनी आयात का बहुत छोटा सा हिस्सा है।
                    अगर चीन से सारे सामान का आयात बन्द कर दिया जाये तो उसका एक सबसे बुरा पहलू ये होगा की टेक्सटाइल जैसी कई चीजें इतनी महंगी हो जाएँगी की हम उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में  नही बेच पाएंगे। जो लोग केवल चीन से हमारे आयात और निर्यात की तुलना करते हैं वो ये भूल जाते हैं की जो सामान हम चीन से आयात करते हैं, उसे कच्चे मॉल के रूप में इस्तेमाल करके दूसरे देशों में बेचते हैं। चीन का सारा सामान हमारे देश में ही प्रयोग नही होता।
                    अपने देश के उद्योगों का विकास किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे जरूरी चीज है। लेकिन हमारे यहां तो राजनीती करने और पीठ थपथपाने से ही किसी को फुर्सत नही है। अब एक ही उदाहरण लो। नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की मूर्ति बनाने की घोषणा की। उसे सबसे ऊँची मूर्ति का ख़िताब मिले फिर भले ही राज्य लुट जाये। उसके लिए 2000 करोड़ का ठेका चीन की कम्पनी को दे दिया। जब आपके पास ऐसी मूर्ति बनाने की सुविधा ही नही है तो आपको उससे बचना चाहिए था। आप सरदार पटेल के नाम पर किसानों के लिए 3000 करोड़ का खर्च करके एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय बना सकते थे जो भारत का सबसे बड़ा कृषि विश्वविद्यालय होता। इससे शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में हमारी हिस्सेदारी बढ़ती और देश को उसका लाभ मिलता। इससे सरदार पटेल को क्या एतराज था। लेकिन छाती कूटने की स्पर्धा में आपने इतना बड़ा खर्च करके  ना केवल विदेशी कम्पनी को ठेका दे दिया, बल्कि एक अनुत्पादक चीज भी बना ली। जो देश विकास के लिए हररोज दूसरों से निवेश की अपीलें करता हो उसके लिए इस तरह का खर्च करना समझदारी तो नही माना जा सकता।
                आज भी हमारी सरकार इस हालत में नही है की वो चीनी सामान पर रोक लगा सके। फिर भक्तों का छाती कूटना कोरी और गन्दी राजनीती ही माना जायेगा।

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.