Tuesday, December 27, 2016

व्यंग -- नोटबन्दी के बाद 31 दिसम्बर की सुबह और नया भारत।

                 सारा देश 30 दिसम्बर के गुजरने का इंतजार इतनी शिद्दत से कर रहा था जैसे विश्व युद्ध के खत्म होने का कर रहा हो। ऐसा लगता था जैसे शादी के 68 साल बाद पुत्र होने जा रहा हो। रात गुजरनी मुश्किल हो रही रही थी की कब आँख लग गयी पता ही नही चला। आँख लगते ही एक बहुत ही अजीब सपना आया। मनोवैज्ञानिक सपनो को मनुष्य की दबी हुई इच्छाओं की विभिन्न रूपों में अभिव्यक्ति होना बताते हैं, शायद मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ होगा।
                   मैंने खुद को शहर की मुख्य सड़क पर खड़ा पाया। मैंने देखा की सड़क पर कोई गड्ढा नही था, कोई कूड़ा कचरा नही था। सामने चौराहे पर ट्रैफिक हवलदार एक स्कूटर सवार से पैसे लेने से इनकार कर रहा था और स्कूटर सवार को श्रीमान कह कर सम्बोधित कर रहा था। मेरी नजर सड़क के किनारे पर पड़ी जहां से हमेशा नाली का बदबूदार पानी ओवरफ्लो होता है। तो मैंने देखा की उसमे दूध बह रहा है। मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही था। तभी मेरी नजर सड़क के किनारे रखे गए सीमेंट के बैंच पर बैठे हमारे मुहल्ले के कुछ भक्त टाइप लोगों पर पड़ी। मैं उनके पास गया और उसने पूछा की क्या वो थर्टी फस्ट का कोई विशेष प्रोग्राम बना रहे हैं। वो बड़ी शालीनता से मुस्कुराये और आहिस्ता से बोले, बन्धु, अब तो सारा देश स्वर्ग की प्रतिलिपी है सो विशेष प्रोग्राम क्या बनाना। कहीं भी उत्सव मना लेंगे। इतने में मुझे सामने से मुकेश अम्बानी हाथ में सब्जी का थैला लेकर आते दिखाई दिए। मैंने अचरज से उनकी तरफ देखा तो वो  मुस्कुराये और  बोले, बन्धु, मैंने 25 -30 साल में जो भी टैक्स की चोरी की थी वो सब जमा करवा दिया है। अब मेरे पास मेरे पुश्तैनी गांव चोरवाड़ में केवल दो कमरे बचे हैं। वहां अनन्त के गुल्लक में कुछ पैसे पड़े थे उनसे सब्जी खरीदने चला आया। आप एक काम करना, थोड़ी देर बाद अडानी जी यहां आएं तो उन्हें बता देना की मैं घर चला गया हूँ और वो भी मेरे घर आ सकते हैं। उनके तो बेचारे के पास कुछ भी नही बचा। मेरे कान सुन्न हो गए।
                      तभी एक बैलगाड़ी में सवार कुछ लोग हाथों में हँसिया लिए वहां से निकले तो एक भक्त ने बताया की ये सब कल तक आतंकवादी थे, जिन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है। तभी एक आदमी दौड़ा दौड़ा आया और बोला की सुना तुमने, बाबा रामदेव ने दवाइयों में मिलावट करने का अपना अपराध स्वीकार करते हुए अदालत में समर्पण कर दिया है। एक भक्त ने कहा की सचमुच देश सोने की चिड़िया बन गया है। उसने एक पेड़ की तरफ इशारा किया, तो मैंने देखा की सचमुच उस पर कई सोने के रंग वाली चिड़िया बैठी हुई थी। मुझे चक्कर आ गया तो एक भक्त ने दौड़ कर मुझे सहारा दिया और डॉक्टर के पास चलने का आग्रह किया। मैंने कहा की मैं कल चला जाऊंगा, आज पैसे लेकर नही आया। भक्त हँसा, कैसे पैसे बन्धु, सारे डॉक्टरों ने निजी प्रैक्टिस बन्द कर दी है। सारी दवाइयाँ और इलाज मुफ्त है। मैंने अपने आसपास देखा और पूछा की कोई बच्चा दिखाई नही दे रहा जो मुझे घर तक छोड़ दे। भक्त ने जवाब दिया की सभी बच्चे स्कूल गए हैं और स्कूल के समय में आपको कोई बच्चा सड़क या गली में नही मिलेगा। आप चाहें तो घर तक जाने के लिए पुलिस की मदद ले सकते हैं। पुलिस ! मैं कांपने लगा तो भक्त हंसा, डरो मत, ये नए भारत की पुलिस है जो लोगों की सेवा करती है। अब कोई अपराधी नही बचा है सो पुलिस केवल जनसेवा कर रही है। मेरी तबियत खराब हो गयी। तभी रेडियो पर सन्देश प्रसारित हुआ की प्रधानमंत्री देश को सम्बोधित करेंगे। सब रेडियो के आसपास सरक आये। सम्बोधन शुरू हुआ ,
                                 मित्रो, जैसा की मैंने आपसे वादा किया था की 50 दिन बाद आप जैसा भारत मांगेंगे , वैसा मिलेगा। मैंने अपना वादा पूरा किया। मित्रों, पहले हमारे देश में जो विदेशी आते थे वो देश की खराब छवि लेकर जाते थे, अब विदेशी लगभग आने ही बन्द हो गए हैं सो देश की इज्जत को कोई खतरा नही है। पहले आप देखते थे की शहर के चौराहों पर काम की इंतजार में मजदूर बैठे रहते थे जो बहुत ही खराब दृश्य होता था। अब 50 दिन काम का इन्तजार करते करते वो थक कर गांव वापिस चले गए। इससे शहरों पर दबाव कम होगा। प्रदूषण फ़ैलाने वाले जो कारखाने पहले अधिकारियों को हफ्ता देकर चलते रहते थे अब काम की कमी में बन्द हो गए और सरकार को कुछ नही करना पड़ा। हमने देशी उत्पादन पर भी पूरा जोर दिया है। किसानों के पास हाइब्रिड बीज खरीदने को पैसे ही नही बचे तो उन्होंने अपने घरों में खाने के लिए रखा अनाज ही बो दिया। अब हम उनको खाद के पैसे नही दे रहे हैं तो अनाज और खाने पीने के सामान में जहां एक तरफ रासायनिक और जहरीले तत्व नही आएंगे तो दूसरी तरफ कम अनाज पैदा होने से उसकी भंडारण की समश्या से छुटकारा मिलेगा।
                              इसके बाद हमने अपनी सरहद पर अमेरिकी फोजों को तैनाती की मंजूरी दे दी है। अब चीन और पाकिस्तान की हिम्मत ही हमारे तरफ देखने की नही पड़ेगी। इस पर बस हमे एक मुश्त रकम अमेरिका को देनी होगी जो अभी के रक्षा बजट से बहुत कम होगी। हमने अपनी सेना को भंग कर दिया है और अब सीमा पर हमारा कोई  जवान शहीद नही होगा। हमने अमेरिका के साथ हुए इस रक्षा समझौते में ये प्रावधान भी किया है की अगर अमेरिकी सैनिकों पर किसी हत्या या बलात्कार का आरोप लगता है तो उसकी जाँच भी अमेरिका को ही करनी होगी और हम उस पर कोई खर्चा नही करेंगे।
                               और मित्रों , आप देख ही रहे होंगे की हमने आज भी वही सूट पहना है जो कल पहना था। और मैं ये भी बताना चाहता हूँ की आपने मुझे चौकीदार चुना था। बेशक ललित मोदी या विजय माल्या जैसे 50 -100 लोग निकल गए हों, लेकिन क्या कोई जनधन खाते वाला अपने ही पैसे में से 5000 रूपये भी निकलवा सकता है। नही। हमने 42 करोड़ जनधन खाता धारकों का जो हाल किया है वो आपके सामने है।  एक दूसरी बात जो मैं आपको बताना चाहता हूँ वो ये की मेरी नोटबन्दी से कालेधन की कमर टूट गयी है, भृष्टाचार के पैर टूट गए है, आतंकवाद की गर्दन टूट गयी है, स्मगलिंग बन्द हो गयी है, बच्चों और महिलाओं  व्यापार और अपहरण खत्म हो गए हैं,  चोरी असम्भव हो गयी है और हवाला कारोबार मर गया है। हमारे कुछ युवाओं के स्टार्ट - अप को छोड़ दिया जाये तो जाली नोट छपने बन्द हो गए हैं। कुछ दूसरी चीजें बची हैं वो भी जल्दी ही मर जाएँगी।
                           इसके अलावा हमने सभी पार्टियों के नेताओं को कह दिया है अगर वो सीबीआई और इनकम टैक्स से बचना चाहते हैं तो उनके पास केवल दो रास्ते हैं, या तो वे राजनीती से सन्यास ले लें या फिर बीजेपी में शामिल हो जाएँ। अब तक कालेधन के सेफ हैवन केवल विदेशों में होते थे, अब हमने बीजेपी को ही कालेधन का सेफ हैवन बना दिया है। मित्रों, मैं ज्यादा कुछ नही कहना चाहूंगा, बस आप दिन में तीन बार RBI के नियम देखते रहें। धन्यवाद। इसके बाद भक्तों ने कई मिनट तक तालियां बजाई और नारे लगाए।
                               मैं वहां से धीरे धीरे चलता हुआ थोड़ा ही आगे गया था की मेरा सिर शीशे से टकराया। ये एकतरफा शीशा था जिसके दूसरी तरफ का कुछ भी दिखाई नही दे रहा था। मैं उसको टटोलते टटोलते उसके साथ साथ चला तो एक जगह जाकर वो खत्म हुआ। मैं उसके दूसरी तरफ पहुँचा तो देखता हूँ की एक चौराहे पर हजारों लोग हाथ में जूता लिए खड़े हैं। मैंने पूछा तो बोले की एक फकीर का इंतजार कर रहे हैं जो 50 दिन का वादा करके गया था। मुझे कुछ बदबू का अहसास हुआ। मैंने देखा की गन्दा नाला ओवरफ्लो हो कर मेरे पैरों के नीचे तक पहुंच गया है।

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