Thursday, March 2, 2017

राष्ट्रवाद पर अरुण जेटली

खबरी -- राष्ट्रवाद पर आज आये अरुण जेटली के बयान पर क्या कहना है ?

गप्पी -- अरुण जेटली ने कहा है की राष्ट्रवाद कोई खराब शब्द नही है, और केवल भारत में ही इसे गलत रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
              इस पर पहली बात तो ये है की पूरी दुनिया के मानवतावादी और जाने माने और प्रगतिशील लोग राष्ट्रवाद के बारे में कोई अच्छी राय नही रखते। इस पर हजारों लेख और टिप्पणियां मौजूद हैं और ये कोई भारत का सवाल नही है।
              दूसरे, इसे जो लोग प्रयोग करते हैं उनकी मंशा पर इसका अर्थ निर्भर करता है। कोई देश आजादी की लड़ाई में अपने देशवासियों को शामिल करने के लिए इसका प्रयोग कर सकता है , तो कोई इसे किसी हमलावर देश के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए राष्ट्रवाद शब्द का प्रयोग करता है।
                लेकिन हालात तब बिगड़ते हैं जब लोगों का कोई समूह अपने ही देश के लोगों के दूसरे समूह को गद्दार और देशविरोधी साबित करने के लिए राष्ट्रवाद शब्द का प्रयोग करता है , जैसा की आरएसएस और बीजेपी कर रहे हैं। ये लोग अपने हिसाब से राष्ट्रवाद की परिभाषा तय करते हैं और उसे दूसरों पर थोपते हैं। इस प्रयास में राष्ट्रवाद शब्द न केवल विभाजनकारी भूमिका निभाता है, बल्कि एक समुदाय के खिलाफ अत्याचार और जुल्म का पर्यायवाची बन जाता है। इस तरह के प्रयोग जर्मनी से लेकर अरब तक और अफ्रीका से लेकर भारत तक होते रहे हैं। इसलिए बुद्धिजीवी इसके दुरूपयोग की सम्भावनाओ को ध्यान में रखते हुए इसे बहुत अच्छा नही मानते।
                 लेकिन अरुण जेटली इस बात को जिस मौजूदा विवाद के सन्दर्भ में उठा रहे हैं उसमे क्या वो बताएंगे की क्या आजादी खराब शब्द है जिस पर आरएसएस और बीजेपी इतना हो-हल्ला मचाये हुए है ?

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